श्रीसत्यनारायणजी की आरती

आरती  > विष्णु आरती Posted at 2018-03-28 11:26:51
जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा । सत्यनारायण स्वामी, जन-पातक-हरणा ॥ जय लक्ष्मी... ॥ रत्न जड़ित सिंहासन, अद्भुत छवि राजे । नारद करत नीराजन, घंटा वन बाजे ॥ जय लक्ष्मी... ॥ प्रकट भए कलिकारन, द्विज को दरस दियो । बूढ़ो ब्राह्मण बनकर, कंचन महल कियो ॥ जय लक्ष्मी... ॥ दुर्बल भील कठारो, जिन पर कृपा करी । चंद्रचूड़ इक राजा, तिनकी विपति हरी ॥ जय लक्ष्मी... ॥ वैश्य मनोरथ पायो, श्रद्धा तज दीन्ही । सो फल भोग्यो प्रभुजी, फिर स्तुति किन्हीं ॥ जय लक्ष्मी... ॥ भाव-भक्ति के कारण, छिन-छिन रूप धर्‌यो । श्रद्धा धारण किन्ही, तिनको काज सरो ॥ जय लक्ष्मी... ॥ ग्वाल-बाल संग राजा, बन में भक्ति करी । मनवांछित फल दीन्हो, दीन दयालु हरि ॥ जय लक्ष्मी... ॥ चढ़त प्रसाद सवायो, कदली फल मेवा । धूप-दीप-तुलसी से, राजी सत्यदेवा ॥ जय लक्ष्मी... ॥ सत्यनारायणजी की आरती जो कोई नर गावे । ऋषि-सिद्ध सुख-संपत्ति सहज रूप पावे ॥ जय लक्ष्मी... ॥

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